
“पब्लिक टॉकीज” संवाददाता
कोण्डागांव। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी., उत्तर बस्तर रेंज कांकेर के पुलिस उप महानिरीक्षक अमित तुकाराम कांबले के निर्देशन, कोण्डागांव पुलिस अधीक्षक वॉय अक्षय कुमार के मार्गदर्शन तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ऑप्स) रूपेश कुमार डाण्डे और उप पुलिस अधीक्षक (ऑप्स) सतीश भार्गव के नेतृत्व में नक्सल विरोधी अभियान लगातार प्रभावी रूप से संचालित किया जा रहा है। इन अभियानों के साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सिविक एक्शन कार्यक्रम चलाकर शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति की जानकारी जनसामान्य को दी जा रही है। इसी का परिणाम है कि अब नक्सली स्वयं समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं।
इसी कड़ी में आज दिनांक 09 मई 2025 को जिला कोण्डागांव, कांकेर और नारायणपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय दो इनामी नक्सलियों—1. रैसिंग कुमेटी उर्फ रतनसिंह कुमेटी, पिता स्व. चैतराम कुमेटी, उम्र 35 वर्ष, निवासी ग्राम देवगांव, थाना आमाबेड़ा, जिला कांकेर, और 2. पुनाय आचला उर्फ हिरोंदा, पत्नी रैसिंग, उम्र 34 वर्ष, निवासी ग्राम आलप्रस, थाना कोयलीबेड़ा, जिला कांकेर—ने कोण्डागांव के पुलिस अधीक्षक वॉय अक्षय कुमार के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
दोनों नक्सलियों पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण के पश्चात दोनों को तत्काल 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त शासन की पुनर्वास नीति के अंतर्गत अन्य सुविधाओं के लिए वरिष्ठ कार्यालय को पत्राचार किया गया है। आत्मसमर्पण कार्यक्रम में एएसपी (ऑप्स) रूपेश डाण्डे, डीएसपी सतीश भार्गव एवं डीआरजी/बस्तर फाइटर्स के अधिकारी उपस्थित रहे।
रैसिंग कुमेटी वर्ष 2002 से 2023 तक और पुनाय वर्ष 2005 से 2023 तक माओवादी संगठन में सक्रिय रहे। रैसिंग 2009 में राजनांदगांव के मदनवाड़ा में हुई भीषण नक्सली घटना में शामिल था, जिसमें तत्कालीन एसपी सहित 29 जवान शहीद हुए थे। पुनाय 2011 में एएसपी राजेश पवार पर हमले की घटना में शामिल थी, जिसमें 9 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा 2007 में कोण्डागांव के विश्रामपुरी थाना क्षेत्र में हुए हमले और आगजनी में भी दोनों की संलिप्तता रही, जिसमें 1 सउनि, 2 प्र.आर. शहीद तथा एक जवान गंभीर रूप से घायल हुआ था।
सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाइयों और शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सली अब माओवादी संगठन छोड़ समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली दंपत्ति को “छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन नीति–2025” के अंतर्गत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।