
“पब्लिक टॉकिज संवाददाता ”
कोण्डागांव। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के आलोर की पहाड़ियों पर स्थित चमत्कारी मां लिंगेश्वरी मंदिर का गुफा द्वार आज सुबह पूरे विधिविधान के साथ खोल दिया गया। साल में केवल एक बार खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु जुटते हैं। मान्यता है कि यहां सच्ची श्रद्धा से मन्नत मांगने वाले निःसंतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। इसी आस्था के चलते इस बार 50 हजार से अधिक दंपत्ति माता का आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं।
मंदिर प्रबंधन के अनुसार आज सुबह 5 बजे पूजन, श्रृंगार और विशेष अनुष्ठान के बाद मां लिंगेश्वरी का गुफा द्वार खोला गया। जैसे ही द्वार खुले, बड़ी संख्या में भक्तों ने माता के जयकारे लगाते हुए दर्शन शुरू किए। हालांकि इस बार विशेष घटना यह रही कि माता की प्रतिमा के पास बिल्ली के पदचिह्न मिले, जिसे पुजारियों ने क्षेत्र के लिए अशुभ संकेत बताया। इसके बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ और सुबह 7 बजे तक ही करीब 15 हजार लोग कतार में लग चुके थे।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन और पुलिस ने चाक-चौबंद व्यवस्था की है। बैरिकेडिंग, पानी की व्यवस्था और मेडिकल टीम भी तैनात की गई है ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो।
आपको बता दें कि मां लिंगेश्वरी मंदिर शिवलिंग के अवतार के रूप में ग्राम झाटीबन आलोर की गुफा में विराजमान है। वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस मंदिर का द्वार साल में केवल एक बार ही खोला जाता है। खासतौर पर निःसंतान दंपत्ति संतान की प्राप्ति की कामना लेकर यहां दर्शन करने आते हैं।
कई श्रद्धालु अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि मां लिंगेश्वरी की कृपा से उन्हें संतान प्राप्त हुई। भिलाई से आई श्रद्धालु ने बताया कि वर्ष 2018 में माता के दर्शन के कुछ महीनों बाद ही उन्हें और उनकी बहन दोनों को संतान प्राप्ति हुई। वहीं विशाखापट्टनम से आए एक दंपत्ति ने बताया कि IVF जैसे प्रयास असफल होने के बाद भी जब उन्होंने माता का प्रसाद ग्रहण किया तो कुछ ही महीनों बाद उन्हें गर्भधारण का सुख मिला।
आस्था, परंपरा और चमत्कार का संगम माने जाने वाला यह मंदिर केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देशभर में निःसंतान दंपत्तियों के लिए आशा की किरण बना हुआ है। मां लिंगेश्वरी के द्वार साल में केवल एक दिन के लिए खुलते हैं और इसी एक दिन में हजारों श्रद्धालु अपनी संतान प्राप्ति की मन्नत लेकर यहां पहुंचते हैं। आस्था का यह अद्भुत संगम आलोर की पहाड़ियों को हर साल भक्ति और विश्वास का केंद्र बना देता है।